- चंद लम्हों की मुलाकात बनी सबब जिन्दगी की ,
- ता उम्र साथ मिलता तो क्या बात थी ।!
- संवर जाती सूरत मेरे आने वाले कल की ,
- हमेशा आफ़ताबे -नूर होता तो क्या बात थी ।!
- यूँ न छोडो भंवर में किश्ती मेरी जिन्दगी की ,
- तुम किश्ती की पतवार बनती तो क्या बात थी ।!
- गर डूबे जिन्दगी की मझधार में होगी रुसवाई ,
- गर चलते साथ -साथ उस पार तो क्या बात थी ।!
- ''कमलेश'' मुझ पर अहसान होगा इस जिन्दगी का ,
- इक जिन्द -इक जान बन के जीते तो क्या बात थी ।!!
मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
उस मुलाकत के ...!!!
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर मंगलवार, अप्रैल 20, 2010
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1 टिप्पणियाँ:
wah ..bahut khoob...
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