गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

कोशिशें तमाम की उनसे मुलाकात की ,
ताशीरे-ए-कशिश न समझे वो जज्बातकी । .......

गर्दिश में हों सितारे तो ,हर कोशिश नाकाम है ,
जलाते उनकी यादों के दिए ,बीती हर शाम है ,
कभी रौशनी उन तलक पहुंचेगी इस बात की .........

बुझती उम्मीदों को अपनी बाँहों का सहारा दे दो ,
बुझने से पहले जाने का बारीक़ इशारा देदो ,,
कसम है उन लम्हों की ,कसम है तुझे उस रात की ........

मिट जाएगी यह हस्ती ,तेरे दीदारे जुनू में ,
जाएगा जम तेरा नाम दिल के थमते लहू में ,,
पैगामे-दिल जो लिखा तेरे वास्ते ,बहा के ले गयी झड़ी बरसात की ...............


'कमलेश' हसरत बाकी है लबों पर अब तलक ,
गवाही भरतें हैं , जमीं आसमां ओर तारे फलक ,,
मिल जाओ त्ड्फाओ अपने प्यार को ,अब जिद भी है किस बात की

2 टिप्पणियाँ:

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aadarniya kamlesh ji,
es behatareen,dil se nikali gajal ke badhai.
poonam

surya goyal ने कहा…

कमलेश जी सबसे पहले आप मेरी और से जन्मदिन की शुभकामनाये स्वीकार करे. वर्मा जी मै आपके ब्लॉग का चक्कर काट कर आ रहा हूँ. अच्छा लिख लेते हो. लेखन के अतिरिक्त कविताओ में आपकी रूचि आपके ब्लॉग की शान बढ़ा रही है. फर्क मात्र इतना है की आप अपने दिल की बात को शब्दों में पिरो कर कविता लिख लेते हो और मै उन्ही शब्दों से गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरे ब्लॉग पर स्वागत है.
www.gooftgu.blogspot.com

kamlesh