मंगलवार, 14 जून 2011

सब तरफ से ...?

सब तरफ से लग रहा है जोर इस बात का ,
कैसे मनोबल तोडा जाये इस जमात का ॥

लगे हुए हैं सत्ता के ''चतुर ''इनको उलझाने में ,
घुटे' गुरु घंटालों '' को ये भी लगे हैं समझाने में ॥

नही -है इतना आसां हल करना ,इस मुद्दे को ,
जैसे ''हड्डी'' से दूर करना मुस्किल होता कुत्ते को '॥

पर इस कवायद का कोई ना कोई वाद बनेगा ,
जो भी बनेगा वो इतिहास में एक अपवाद बनेगा ॥

जनतंत्र को ''प्रजा-तन्त्र ''इनका ये मनन अनोखा है ,
चुनाव से पहले ''जन '' ,बाद ''प्रजा ''को देते धोखा है ॥

पर ''अन्ना'' की इस आंधी में, ये सब बह जायेंगे ,
जों बहेंगे इस आंधी के साथ वो ही कल बच पाएंगे ॥

''कमलेश''कोई समझाओ इन कम अक्ल के अंधों को ,
देश की जन-शक्ति ने ,पहले भी तोडा है ख़ूनी ''पंजे '' को ॥



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kamlesh