मुक्कदर संवर गये उनके आने ,की आहट से ॥
वो क्या गए अपने मुक्कदर ही बदल गए ...
जाने वालों की वह गली...
देखते भर रह गए 'तिरछे नैन '....
सोमवार, 18 जनवरी 2010
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर सोमवार, जनवरी 18, 2010
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